जीवनसंध्य – खुशहाल वृद्धावस्था की और
डॉ अनिल गांधीजी ने यह पुस्तक ज्येष्ठ व्यक्तियो के लिए तथा उनके लिए तथा उनके लिए कार्य करनेवाले संस्थओ के लिए सामाजिक कर्तव्य भावना से लिखी है | इस पुस्तक के हर एक पन्ने में उनका भाव प्रतिबिबित हुआ है। जीवन की संध्या के समय में अर्थात दो कालो के संधिकाल में अटके व्यक्ति के तन मन में तूफान उमड़ आतेहै उनका वर्णन तो उन्होने किया है ही साथ उसके लिए उपयो की दिशा ,ज्येष्ठ व्यक्तियो शारीरिक ,मानसिक तथा भावनिक शोषण , ज्येष्ठ नागरिको के लिए उपलब्ध कानून उनका अर्थकारण ज्येष्ठ व्यक्तियो की साहियता करनेवाली संस्थओ की जानकारी आत्यांतिक वास्तव और सरल शब्दों में प्रस्तुत की हैं |
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